Bavasir- बवासीर, जिसे पाइल्स भी कहा जाता है, एक सामान्य लेकिन बेहद असुविधाजनक बीमारी है। यह समस्या तब होती है जब गुदा और मलाशय के आसपास की नसें सूज जाती हैं या उनमें सूजन आ जाती है।
बवासीर आमतौर पर लंबे समय तक बैठे रहने, कब्ज, और अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होती है। यहाँ हम जानेंगे कि क्यों बवासीर बार-बार होती है और इसे जड़ से समाप्त करने के आयुर्वेदिक उपाय क्या हैं।
बवासीर क्यों ठीक नहीं होती? |Why do Hemorrhoids not Heal?
बवासीर का बार-बार होना या लंबे समय तक ठीक न होना कई कारणों से हो सकता है:
- आहार की गलत आदतें: फाइबर की कमी और तला-भुना भोजन करने से मल कठोर हो जाता है, जिससे बवासीर की समस्या बढ़ जाती है।
- कब्ज की समस्या: लंबे समय तक कब्ज रहने से गुदा पर दबाव बढ़ता है, जिससे बवासीर गंभीर हो जाती है।
- बैठने की गलत स्थिति: लंबे समय तक बैठने या खड़े रहने से भी बवासीर की समस्या बनी रहती है।
- पर्याप्त इलाज न करना: यदि शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज किया जाए, तो यह समस्या बढ़ सकती है।
- शारीरिक गतिविधि की कमी: शरीर का गतिहीन रहना रक्त प्रवाह को बाधित करता है, जिससे बवासीर ठीक नहीं होती।
आयुर्वेद में बवासीर का इलाज |Ayurved me Bavasir ka Ilaaj
आयुर्वेद एक प्राचीन चिकित्सा पद्धति है, जो प्राकृतिक उपचार और जड़ी-बूटियों का उपयोग करके रोगों का इलाज करते है। बवासीर के लिए आयुर्वेद में कई प्रभावी इलाज हैं, जो इसे जड़ से खत्म करने में मदद करते हैं।
त्रिफला चूर्ण का उपयोग
त्रिफला चूर्ण पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है और कब्ज को दूर करता है। इसे रोज़ाना रात में गुनगुने पानी के साथ लेने से मल त्यागने में आसानी होती है।
एलोवेरा जूस
एलोवेरा के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करने में मदद करते हैं। सुबह खाली पेट एलोवेरा जूस पीने से गुदा क्षेत्र की सूजन कम होती है।
अर्शकल्प वटी
यह एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है, जो बवासीर के उपचार में उपयोगी है। यह रक्तस्राव को रोकने और सूजन को कम करने में मदद करती है।
जीरा और काला नमक
जीरा और काले नमक का मिश्रण बवासीर के दर्द और सूजन को कम करने में मदद करता है। इसे छाछ के साथ मिलाकर सेवन करें।
नारियल तेल और हल्दी का लेप
गुदा क्षेत्र में नारियल तेल और हल्दी का लेप लगाने से दर्द और जलन में आराम मिलता है। हल्दी के एंटीसेप्टिक गुण संक्रमण को रोकते हैं।
आयुर्वेदिक जीवनशैली में बदलाव
फाइबर युक्त आहार
अपने आहार में हरी सब्जियां, फल, और साबुत अनाज शामिल करें। ये आंतों को स्वस्थ रखते हैं और मल को मुलायम बनाते हैं।
अधिक पानी पिएं
दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है और कब्ज की समस्या दूर होती है।
नियमित व्यायाम करें
योग और हल्की फुल्की एक्सरसाइज करने से शरीर का रक्त प्रवाह बेहतर होता है।
- योगासन: पवनमुक्तासन और मालासन बवासीर के लिए बेहद लाभकारी हैं।
तनाव से बचें
तनाव शरीर के पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है, जिससे बवासीर बढ़ सकती है। ध्यान और प्राणायाम से तनाव को नियंत्रित करें।
मल त्याग की आदतों में सुधार
मल त्याग के समय बहुत अधिक दबाव डालने से बचें। यह गुदा की नसों पर दबाव डाल सकता है।
बवासीर के लिए घरेलू उपाय | Home Remedies for Piles
अंजीर
रातभर भिगोए हुए 2-3 अंजीर को सुबह खाली पेट खाएं। इससे पाचन तंत्र बेहतर होता है।
बथुए का रस
बथुए के पत्तों का रस बवासीर में बहुत लाभकारी होता है। इसे नियमित रूप से पीने से आराम मिलता है।
नींबू और अदरक
नींबू और अदरक के रस में थोड़ा शहद मिलाकर सेवन करने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है।
गर्म पानी से सेंक
गुदा क्षेत्र को गर्म पानी से धोने या सेंकने से दर्द और जलन में आराम मिलता है।
बवासीर को जड़ से ठीक करना संभव है, लेकिन इसके लिए सही इलाज और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है।
आयुर्वेदिक उपाय प्राकृतिक और सुरक्षित हैं, जो बवासीर को जड़ से खत्म करने में मदद करते हैं।
नियमित व्यायाम करें, संतुलित आहार लें, और तनावमुक्त जीवनशैली अपनाएं। इससे इस समस्या से बचा जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
छुटकारा पाने के लिए फाइबर युक्त आहार, नियमित व्यायाम, और आयुर्वेदिक उपचार करे | त्रिफला चूर्ण और एलोवेरा का सेवन नियमित करें। साथ ही, तनाव मुक्त जीवनशैली अपनाएं और अधिक पानी पिएं।
100% इलाज योग्य है बवासीर, खासकर यदि समय पर सही आहार, आयुर्वेदिक उपचार और जीवनशैली में बदलाव किया जाए। गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है।
खूनी बवासीर के इलाज में फाइबर युक्त आहार, पर्याप्त पानी, दवाइयां (जैसे स्टूल सॉफ्टनर), और गंभीर मामलों में डॉक्टर द्वारा सुझाई गई प्रक्रियाएं, जैसे बैंड लिगेशन या सर्जरी, शामिल हैं।
बवासीर जीवन भर नहीं रहती यदि समय पर इसका सही इलाज और प्रबंधन किया जाए तो
खून निकलने वाला बवासीर (खूनी बवासीर) और thrombosed बवासीर (जहां गांठ में खून का थक्का जम जाता है) अधिक खतरनाक हो सकते हैं। ये अत्यधिक दर्द, संक्रमण या अन्य जटिलताएं पैदा कर सकते हैं, इसलिए ऐसे मामलों में तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना आवश्यक है।
बवासीर और मस्से के बीच अंतर समझने के लिए निम्नलिखित लक्षणों को देखें:
1- बवासीर:
गुदा क्षेत्र में दर्द, खुजली या जलन।
मल त्याग के दौरान खून आना।
गुदा के पास सूजन या गांठ।
अधिकतर आंतरिक या बाहरी रूप में होते हैं।
2- मस्सा (Anal Warts):
गुदा के आसपास छोटे, मुलायम, त्वचा के रंग के उभार।
दर्द रहित होते हैं, लेकिन खुजली हो सकती है।
ये आमतौर पर वायरल संक्रमण (HPV) के कारण होते हैं।
अगर लक्षण स्पष्ट न हों या परेशानी बनी रहे, तो सही निदान और इलाज के लिए डॉक्टर से परामर्श लें।
Leave a Reply